Tuesday, May 10, 2011

अनन्या दीदी अब हिंग्नाडीह में

हिंगनाडीह अभ्युदय संस्थान से लगभग २ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव है और यह संस्थान कुम्हारी, रायपुर (छ. ग.) में है।
यहाँ एक फार्म हाऊस है वहाँ हमारी अनन्या दीदी रहती हैं। फ़्लैट संस्कृति का त्याग कर जीवन को प्रकृति के साथ जीने की कला सिखने गई हैं मेरी दीदी। दिन भर खेलती रहती हैं कभी गायों के साथ तो कभी बछड़ों के साथ। कभी अपने घर में तो कभी श्रमिक के घर में। कभी यहाँ खाना खाया तो कभी उनके घर खाया। कभी वह गन्नों के फसलों में नज़र आती है तो कभी भूसों के पहाड़ में फिसलती नज़र आएँगी।
अंशुमन भैया भी बहुत खुश है। भैय्या को तो बस एक बछड़ा चाहिए खेलने के लिए। दीदी के यहाँ २ दोस्त हैं एक भाग्या दीदी जो अभी ६ साल की हैं अभी school नहीं जाती पर उन्हें जीवन जीने के लिए जरूरी हर बात की शिक्षा दी जा रही है और वह अंशुमन भैया का बहुत ख्याल रखती हैं और एक बात यहाँ की सारी गाय देशी हैं और अच्छे नस्ल की हैं। यहाँ तो दूध की नदियाँ बहती हैं। ये दूध कुछ अभ्युदय संस्थान में शिविरों में उपयोग होता है बाकि जो भी बचता है उसे उसी गुणवत्ता के साथ या फिर उसके पेड़े बनाकर बेच दिया जाता है।
जीवन विद्या का एक school खुलने जा रहा है जो बिलकुल इसी तरह प्रकृति से जुड़ा हुआ होगा।यहाँ पर ये सब बच्चे पढ़ाई करेंगे । इन सभी बच्चों ने फ़्लैट संस्कृति का त्याग किया और जीवन जीने की एक अनोखी अदा सिखने को तैयार हैं। एक बात और बताऊँ यहाँ सभी बच्चों को जो यहाँ पढ़ना चाहते हैं उनके मम्मी पापा को कह दिया गया है यह मत सोचियेगा कि आपका बच्चा बारिश में नहीं भीगेगा उसके कपडे गंदे नहीं होंगे. वह बारिश में भी भीगेगा और उसके कपड़े भी गंदे होंगे. हा हा मुझे तो सोच के ही मजा आ रहा है कि क्या मजेदार पढ़ाई होगी? मुझे तो मिट्टी से खेलने में बड़ा मजा आता है मैं तो वहाँ बहुत खेलूँगा :D
तो ये रहा दोस्तों दीदी का गाज़ियाबाद से यहाँ तक का सफ़र।

अंशुमन और भाग्या दीदी

अनन्या दीदी मुरम में खेलते हुए

अनन्या दीदी और उनके दोस्त

अनन्या दीदी और भाग्या दीदी का गौशाला (फ़िलहाल अभी दीदी ने २ ही गायों को लिया है )


दीदी अपना गौशाला दिखाते हुए.


दीदी के पीछे बछड़े हैं जिनसे दीदी रोज मिलती हैं और उनसे खूब बात करती हैं.




और ये रही गन्नों की फसल



दीदी और दोस्त भूसे में खेलते हुए

दीदी की मम्मी, भाग्या की मम्मी और उनके दोस्त



अनन्या दीदी और मेनन

अंशुमन भैया और गाय :)

ये रही मेरी जन्मदिन की तस्वीरें :)

हालाँकि थोड़ी देर हो गई क्या करूँ मैं आपको अपने बारे में हर चीज वक्त से बताना चाहता हूँ पर अभी किसी कारणवश देरी हो रही है मैं जहाँ रहता हूँ न वहाँ Internet की थोड़ी समस्या है। ये रहे चित्र.....



दादा- दादी और मैं
मम्मी पापा








मेरी मम्मी और दादी ने मेरा जन्मदिन मनाने से मना कर दिया था लेकिन हमारे पड़ोसी बहुत ही अच्छे हैं मैं जब से वहाँ गया हूँ सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं। यहाँ के बच्चे मेरा दिन रात मेरी चिंता करते हैं कोई बच्चा मेरी नज़र उतरता है तो कोई मेरे मुँह को साफ़ करता है कई बार तो मैं उनके बार वो भी कर देता हूँ :) फिर भी वे बुरा नहीं मानते और प्यार से हँसते हैं। एक बच्चे ने तो बोलना भी शुरू किया तो "आदि" कहकर. और कई बच्चे तो अपने मम्मी पापा से बहाना बना कर मेरे पास जाते हैं। अब मेरी मम्मी बेफिक्र हैं क्योंकि यहाँ सब मेरा ख्याल रखते हैं।
जन्मदिन की सारी तैयारियाँ तो हमारे पड़ोसियों ने कर दी थी. सबने खूब मजा किया और मुझे भी बहुत अच्छा लगा। मेरी दादी कहती है ऐसे पड़ोसी तो संसार में कहीं नहीं होंगे। मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपने सभी दोस्तों और बड़ों का आभार प्रगट करना चाहता हूँ। ये आप सभी का ही आशीर्वाद है कि मैं पहले से भी और अच्छी स्थिति में हूँ। आप सभी को मैं यह सन्देश देना चाहता हूँ चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कभी मत घबराना हमेशा खुश रहना। वर्तमान में रहना क्योंकि वर्तमान से ही तो हमारा भविष्य बनता है पहले से ही यदि मेरी मम्मी हार मान जाती तो मेरा क्या होता? अब मेरी मम्मी ने वर्तमान में जीना सीख लिया है. और मैं देख रहा हूँ भविष्य अपने आप सँवरता जा रहा है. आप सभी की जिंदगी सुखमय और समृधि से भरी पूरी हो , कभी कोई कष्ट न आये ऐसा मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ.
आपका प्यारा आदित्य :)