Friday, September 17, 2010

"आदित्य"


मैं ना आदित्य साहू हुँ ...क्या आप मेरी कहानी सुनोगे?
मेरा जन्म १० मार्च २००९ में होलिका दहन के दिन हुआ था।
मेरे मम्मी पापा उस क्षण बहुत खुश थे पर थोड़े देर में यह खुशी दुःख में बदल गयी। मैं रोया नहीं ना तो ऑक्सीज़न की कमी हो गयी।
और न मुझे मेनेंज़ाइटिस भी हो गया।
मुझे दुसरे हॉस्पिटल ले जाया गया।
मैं अपनी मम्मी से अलग आई.सी.यू.में था। मम्मी दुसरे हॉस्पिटल में और मैं दुसरे।
मुझे अपनी मम्मी की बहुत याद आती थी। नर्स मुझे जब कैन्डूला लगाती ना तो बहुत दर्द होता था। मेरे नाक में पाइप लगी थी , अब तो झटके भी आने लगे थे। किसी को भी मेरे बचने की उम्मीद नही थी सिवाए मेरे मम्मी के।
जब वह मुझसे मिलने आती तो ना मुझसे अपनी आखों से कहती -
"मेरा प्यारा बेटा, तू जल्दी से अच्छा हो जाएगा।"
पता है ? इसलिए मैं जल्दी से ठीक होने लगा। मैं करीब डेढ़ महीने हॉस्पिटल में रहा।
खूब सारी दवाईयाँ लेनी पड़ती थी खूब उल्टी भी हो जाती थी।
डिब्बा वाला दूध लेना पड़ता जो मुझे बिल्कुल पसंद नही आता था।
पर अब मैं गाय का दूध लेता हूँ रोज १ से डेढ़ लीटर पी जाता हूँ और ना नानी मुझको रोज एक सेब फल भी देने लगी है
अभी तो मैं ठीक हूँ किंतु कभी -कभी मुझे अभी भी झटके आते हैं तो मेरी मम्मी डर जाती हैं।
आप लोग ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करिए ना की मैंजल्दी से अच्छा हो जाऊं .... और मेरी मम्मी से बोलिए की ज्यादा चिंता ना करें अपने स्वास्थ का ध्यान रखें।
और ना मुझे अपने पापा की बहुत याद आती है वे मुझसे बहुत दूर डेल्ही में रहते हैं उनको अपना कार्य छोड़ते नही बनता पर मुझसे बहुत प्यार करते हैं।

मै अभी वहां नही जा सकता क्योंकि मेरी तबियत अभी पूरी ठीक नहीं हुई।

पता है मै अपने पापा के लिए कौन सा गीत गाता हूँ ?

"सात समुन्दर पार से गुड़ियों के बाज्रार से अच्छी सी गुड़िया लाना,

गुड़िया चाहे न लाना, पर पापा जल्दी आ जाना"


I love you mom and dad.

(यह पोस्ट आदित्य के बारे में जानने वाले शुभचिंतकों के लिए दोबारा प्रकाशित की गई हैवैसे अभी हमारे हीरो जी :) आर. सी. केरा, बंगलौर में अपने पापा के पास है और वह बहुत खुश है पापा के साथ बाईक में सवार होने में उसे बड़ा मजा आता है, आस पड़ोस के बच्चे उसे गोद में लेने के लिए लाईन लगाये रहते हैं। यह जगह बहुत ही अच्छी है यहाँ का स्वच्छ वातावरण आदित्य के स्वास्थ्य में और सुधार लाये यही ईश्वर से प्रार्थना है.)

Monday, September 6, 2010

जन्माष्टमी में राधा बनी अनन्या दीदी

आइये आइये दोस्तों!... देखिये तो अनन्या दीदी को! कितनी प्यारी लग रही हैं राधा बन कर...
है ना?

साथ में किशन बने अनन्या दीदी के मित्र हैं।

यह चित्र दीदी ने खास तौर पर "बच्चों की दुनिया" ब्लॉग के लिए भिजवायें हैं। दीदी ने नीति संस्कार नर्सरी स्कूल इंदिरापुरम ( गाजियाबाद) में जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में राधा बन हिस्सा लिया था।और दीदी को dress change करने का मन ही नहीं कर रहा था और राधा बन पूरे घर में इठलाती रहीं.... :) तो ऐसी हैं हमारी प्यारी सी, छोटी सी, नन्हीं सी, अनन्या दीदी.......

Friday, August 27, 2010

रक्षा बंधन का त्यौहार

यह त्यौहार मेरे लिए बहुत ही प्यारा रहा। सृष्टि दीदी ने मुझे और चारू भैया को राखी बांधी। बड़े पापा, बड़ी मम्मी मुझसे मिलने आये थे क्योंकि शनिवार दोपहर को मुझे बहुत जोर का झटका आया था। लगभग एक घंटे तक मुँह से सफ़ेद झाग निकल रहा था, माँ डर गई थीं, नानी भी नहीं है ना! बड़ी माँ के घर गई हैं। कुछ जरूरी काम था उन्हें अचानक जाना पड़ा। नानी के नहीं होने से सब मेरी स्थिति देखकर घबरा गए थे नाना जी, मामा जी और मामी जी सब।

फिर ना मुझे इंजेक्शन लगाकर बेहोश किया गया। बहुत देर बाद होश आया, २ दिनों तक बहुत थकावट महसूस हो रही थी। आज तबियत थोड़ी ठीक है।

सब कहते हैं कि मुझे जो दवाईयाँ दी जा रही है झटके को रोकने के लिए उतनी ही डोज़ बड़ों को भी दी जाती है यह मेरे liver के लिए खतरनाक है पर इसके सिवाय और कोई रास्ता नहीं दिखाई देता।

पापा का Transfer बैंगलोर के पास एक गाँव है आर्सिकेरे वहाँ हो गया है। दादा दादी भी वहीँ है बस आज मैं भी निकलने वाला हूँ, शाम की फ़्लाईट है हैदराबाद में रात रुकेंगे फिर सबेरे बैंगलोर के लिए फ़्लाईट है बैंगलोर में पापा के एक दोस्त रहते हैं वहाँ पापा ने अपनी कार छोड़ दी है उससे हम गाँव निकल जाऐंगे।
सुना है वहाँ का वातावरण बहुत अच्छा है वहाँ के लोगों में भी साफ़ सफाई के लिए जागरूकता है मेरे पापा, दादा-दादी वहाँ जाकर बहुत खुश हैं। जिनको भीड़ -भाड़ वाली जगह पसंद नहीं हो और प्रकृति के बीच रहने वाले हैं उन लोगों के लिए यह जगह स्वर्ग है। मुझे पहले वहाँ पहुँचने दीजिये फिर में आपको वहाँ की तस्वीरें दिखाऊंगा।
अरे हाँ मैं तो आपको २ खुशखबरी देना भूल गया..... मेरी २ छोटी बहनों ने इस दुनिया में अभी कुछ दिन पहले ही कदम रखा है एक मेरे प्रिय मामा जो हमेशा मेरी मुश्किल घडी में साथ रहे उनकी बेटी और दूसरी मेरी बड़ी मम्मी की बेटी, मेरी नानी वहीं तो गई हैं! :)
अच्छा हम बाद में मिलते हैं.....टाटा
आप सभी अपना ध्यान रखिएगा :)

Saturday, June 26, 2010

मम्मी, पापा, बड़े पापा और मैं :-)

बहुत दिनों बाद पापा से मुलाकात हुई मैं बहुत खुश था। हम सब मिलकर दादा दादी के पास गए थे पर गर्मी के कारण मुझे बुखार आ गया था। अभी मैं ठीक हूँ एक साल का हो गया हूँ मुझे कुछ भी खाना अच्छा नहीं लगता बस दूध ही पीता हूँ वज़न नहीं बढ़ रहा है मेरा!...चल भी नहीं पाता हूँ ....बोल भी नहीं पाता हूँ...बस अपनी भावनाओं से सबको अपनी बात समझाता हूँ। सब मुझे बहुत ही प्यार करते हैं। मेरी तबियत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है अब सब ईश्वर के ऊपर है। मुझे ईश्वर पर पूरा भरोसा है कि उन्होंने मेरे लिए बहुत ही अच्छा कार्य सोच रखा होगा।
पापा और मैं मम्मी और मैं
बड़े पापा, पापा और आदित्य
बड़े पापा, पापा और आदित्य बस दूध ही पीता हूँ

मेरे पापा डेल्ही चले गए उनका ट्रान्सफर होने वाला है इस बार मैं भी जाऊंगा पापा के साथ और उनके साथ रहूँगा हमेशा हमेशा के लिए :)

Saturday, June 12, 2010

"Faith"

क्या यह चमत्कार नहीं है कि एक छोटा सा प्यारा Dogy क्या कर सकता है ?
A DOG NAMED FAITH

जी हाँ इस प्यारे से dog का नाम है "Faith" है।
जन्म सन २००२ में क्रिसमस के समय हुआ था। वह अपने २ पैरों के साथ पैदा हुआ। हाँ जब वह पैदा हुआ तो नहीं चल सका उसकी माँ भी उसे पसंद नहीं करती थी।
उसके पहले मालिक ने सोचा कि यह जीवित नहीं रह पायेगा तो उन्होंने उसे नींद मृत्यु देने की सोची पर जब "Faith" के वर्तमान मालिक Jude String Fellow उनसे मिली और उसके देखभाल की इच्छा व्यक्त की।


उसने यह निश्चय किया कि वह इस Dog को अपने स्वयं के पैरों में चलने की training देगी उन्होंने इसका नाम faith रखा। शुरुआत में उन्होंने Faith को Srfboard पर रखा ताकि वह गति को महसूस कर सके। बाद में उन्होंने एक चम्मच में peanut Butter रख कर उसे कुछ करने को उकसाया। जब वह खड़ा होता या चारों और jump करता था तो यह उसे इनाम में मिलता था। घर के दुसरे Dogy भी Faith को चलने के लिए प्रोत्साहित करते थे। अविश्वसिनीय !!! सिर्फ छः माह में जैसे चमत्कार हो गया। Faith ने अपने पिछ्ले पैरों पर Balance बनाना सीख गया था।


आगे बर्फ (snow) में Training देने के पश्चात वह मनुष्य की तरह चलने लगा।
Faith अब हर जगह चलना पसंद करने लगा। यह तो स्वाभाविक था वह जहाँ भी जाता लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाता है। वह बहुत ही तेजी से अंतर्राष्ट्रीय दृश्य पटल पर समाचार पत्रों व T.V. shows के माध्यम से प्रसिद्धियाँ बटोरते जा रहा था।


Faith के ऊपर एक पुस्तक भी लिखी गई "With A Little Faith"। हैरी पोर्टर के फिल्मों में भी उपस्थिति के लिए भी Faith जी के नाम पर विचार किया जा रहा है।
उसके वर्तमान मालकिन Jude Stringfellow ने लोगों के बीच जाकर यह बताने की कोशिश करेंगी कि बगैर एक Perfect Body के कैसे Perfect Soul बना जा सकता है।


यहाँ इस कहानी को रखने का उद्देश्य यह है कि एक दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते असंभव लगने से कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है।
ओहो! मेरी स्वीटी भी Faith से बहुत प्रभावित नज़र आ रही है। :)

Saturday, May 22, 2010

अंशुमन भाई , अनन्या दीदी और नानी

प्यारे दोस्तों!
आज अनन्या दीदी ने अपने छोटे भाई अंशुमन और अपनी नानी की तस्वीर भेजी हैं। अनन्या दीदी इन्द्रापुरम वाले घर में बहुत अकेलापन महसूस करती थी। यहाँ भिलाई में उनके नाना -नानी और दादा- दादी और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं तो यहाँ तो वह खुश रहती हैं पर गाज़ियाबाद में उसे ज़रा सा भी अच्छा नहीं लगता था।
पर अब अंशुमन भाई के आने के बाद से दीदी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है वह दिन भर अपने छोटे भाई का ख्याल रखती है वह भाई का सारा काम करना चाहती है पर छोटी है इसलिए उसे नहीं करने दिया जाता। दीदी का काम है छोटे भाई के लिए नेपकिन लाना और झूले में झुलाना।
दीदी की मम्मी ने सख्त हिदायत दे रखी है कि हाथ साफ करके ही भाई को स्पर्श करें और kiss करने से भी मना किया गया है ताकि बच्चे को कोई infection ना हो। दीदी बहुत कोशिश करती है पर इतने प्यारे भाई को देखकर वह अपनेको नियंत्रण में नहीं रख पाती और इसके बाद तो खुदा ही मालिक है।
:)









हम्म ! इतनी फोटो खींचें की अंशुमन बेचारा थक गया और उसे नींद आ गई।


और दीदी के गोद में सो गया.......
:)

Saturday, May 1, 2010

चारू भइय्या

दोस्तों मैं आपको आज अपने प्यारे सबसे करीब और अजीज़ से मिलवाने जा रहा हूँ जो आज भी दुःख सुख़ में मेरे साथ है और मुझे हमेशा प्यार करते हैं। आज उन्होंने मेरे ब्लॉग के लिए कुछ चित्र बनाये हैं इसे मै आपको दिखाना चाहता हूँ।


ये हैं चारू भैय्या
यह चित्र उन्होंने अपना बनाया है.
और यह भूमि दीदी का है जो एक शिक्षिका बनी है.
और इस चित्र में सूरज, चंदा और एक फूल का पौधा है।
और एक दैत्य का भी चित्र है.

चारू भैय्या की कल्पना का कोई जवाब नहीं वह उम्र में बहुत ही छोटे हैं पर जब बात करते हैं तो लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं.तो ऐसे हैं हमारे प्यारे चारू भैय्या
चारू भैया आपका शुक्रिया..... :)

Tuesday, April 6, 2010

अद्वैत भैय्या बने विजेता

मेरे प्यारे दोस्तों ५ अप्रैल को "बच्चों की दुनिया " की ओर से एक चित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें भाग लेने वाले बच्चे थे।
"अद्वैत भैय्या, अनुष्का दीदी, दीक्षा दीदी, सचिन भैय्या, अध्यात्म भैय्या, हिमांशु भैय्या, अनुभव भैय्या, अनुज भैय्या और अनन्या दीदी।
सभी ने इस प्रतियोगिता का बहुत आनंद उठाया। सभी बच्चों को Crayon colour pencil और एक Drawing sheet दी गई।
और हाँ प्रतियोगिता के बीच में सभी को Munch भी खाने को मिला बड़ा वाला और मुझे भी पर मैं तो अभी खा नहीं सकता ना!
सबसे पहले अनन्या दीदी का चित्र पूर्ण हुआ।
अनन्या दीदी ने स्वयं चित्र बनाया किसी ने उनकी मदद नहीं की।
अनन्या दीदी आपने क्या बनाया?
wow !!अनन्या दीदी ने तो little star बनाया बहुत ही सुन्दर।
अद्वैत भैय्या, दीक्षा दीदी और अनुष्का दीदी के भी चित्र बन चुके थे।
अद्वैत भैय्या ने दो बच्चे पतंग उड़ाते बनाये हैं , इन चित्रों में बेहद सफाई के साथ रंग भरा गया था और वे अनुशासित लग रहे थे तो अद्वैत भैय्या प्रथम स्थान पर रहे।
दीक्षा दीदी ने एक तोता बनाया और अनुष्का दीदी ने बहुत सारे पहाड़ और एक सुन्दर सी झोपड़ी बनाई।
अनुज भैय्या ने एक उड़ती कार बनाई और भैय्या दूसरे स्थान पर रहे क्योंकि उन्होंने अपनी कल्पना से कुछ अलग कर दिखाया।
अनुष्का दीदी को प्रतियोगिता से बहुत डर लगता है लेकिन दीदी ने यहाँ बहुत ही अच्छा चित्र बनाया है दीक्षा दीदी और अनुष्का दीदी तीसरे स्थान में रहीं।
अनुभव भैय्या ने झरने में नहाते लोगों को
बनाया तो हिमांशु, सचिन भैय्या ने गाँव के दृश्य को चित्रित किया। अध्यात्म भैय्या ने बाढ़ से डूबता गाँव बनाया।
बाकि सभी बच्चों को सांत्वना पुरुस्कार प्राप्त हुए आप सभी ने बहुत ही अच्छा प्रयास किया आप सभी को बहुत बहुत बधाइयाँ।
आह! सभी दोस्तों को पुरुस्कार मिले और सभी बेहद प्रसन्न थे और उन्हें देखकर हम भी !
:)