
मैं ना आदित्य साहू हुँ ...क्या आप मेरी कहानी सुनोगे?
मेरा जन्म १० मार्च २००९ में होलिका दहन के दिन हुआ था।
मेरे मम्मी पापा उस क्षण बहुत खुश थे पर थोड़े देर में यह खुशी दुःख में बदल गयी। मैं रोया नहीं ना तो ऑक्सीज़न की कमी हो गयी।
और न मुझे मेनेंज़ाइटिस भी हो गया।
मुझे दुसरे हॉस्पिटल ले जाया गया।
मैं अपनी मम्मी से अलग आई.सी.यू.में था। मम्मी दुसरे हॉस्पिटल में और मैं दुसरे।
मुझे अपनी मम्मी की बहुत याद आती थी। नर्स मुझे जब कैन्डूला लगाती ना तो बहुत दर्द होता था। मेरे नाक में पाइप लगी थी , अब तो झटके भी आने लगे थे। किसी को भी मेरे बचने की उम्मीद नही थी सिवाए मेरे मम्मी के।
जब वह मुझसे मिलने आती तो ना मुझसे अपनी आखों से कहती -
"मेरा प्यारा बेटा, तू जल्दी से अच्छा हो जाएगा।"
पता है ? इसलिए मैं जल्दी से ठीक होने लगा। मैं करीब डेढ़ महीने हॉस्पिटल में रहा।
खूब सारी दवाईयाँ लेनी पड़ती थी खूब उल्टी भी हो जाती थी।
डिब्बा वाला दूध लेना पड़ता जो मुझे बिल्कुल पसंद नही आता था।
पर अब मैं गाय का दूध लेता हूँ रोज १ से डेढ़ लीटर पी जाता हूँ और ना नानी मुझको रोज एक सेब फल भी देने लगी है
अभी तो मैं ठीक हूँ किंतु कभी -कभी मुझे अभी भी झटके आते हैं तो मेरी मम्मी डर जाती हैं।
आप लोग ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करिए ना की मैंजल्दी से अच्छा हो जाऊं .... और मेरी मम्मी से बोलिए की ज्यादा चिंता ना करें अपने स्वास्थ का ध्यान रखें।
और ना मुझे अपने पापा की बहुत याद आती है वे मुझसे बहुत दूर डेल्ही में रहते हैं उनको अपना कार्य छोड़ते नही बनता पर मुझसे बहुत प्यार करते हैं।
मै अभी वहां नही जा सकता क्योंकि मेरी तबियत अभी पूरी ठीक नहीं हुई।
पता है मै अपने पापा के लिए कौन सा गीत गाता हूँ ?
"सात समुन्दर पार से गुड़ियों के बाज्रार से अच्छी सी गुड़िया लाना,
गुड़िया चाहे न लाना, पर पापा जल्दी आ जाना"
I love you mom and dad.
(यह पोस्ट आदित्य के बारे में जानने वाले शुभचिंतकों के लिए दोबारा प्रकाशित की गई हैवैसे अभी हमारे हीरो जी :) आर. सी. केरा, बंगलौर में अपने पापा के पास है और वह बहुत खुश है पापा के साथ बाईक में सवार होने में उसे बड़ा मजा आता है, आस पड़ोस के बच्चे उसे गोद में लेने के लिए लाईन लगाये रहते हैं। यह जगह बहुत ही अच्छी है यहाँ का स्वच्छ वातावरण आदित्य के स्वास्थ्य में और सुधार लाये यही ईश्वर से प्रार्थना है.)