चिड़ियों ने आवाज़ उठाई,
कहाँ बनाये नीड़?
रोज पेड़ कटते जाते हैं,
बढ़ती जाती भीड़।
रोक कुल्हाड़ी बात हमारी,
सुनो जरा कुछ खास,
पेड़ ना होते तो फिर कैसे,
हम तुम लेंगे साँस।
.
.
अनुभव भैय्या इतनेअच्छे गीतके लिए बच्चों की दुनिया की ओर से आपका बहुत बहुत आभार ...
1 comment:
उम्दा संदेश देती रचना!
Post a Comment